Sustainable Development Goal in India

 

एसडीजी के लिए महिला-पुरुष संकेतकों से जुड़े डेटा के सृजन और डेटा के उपयोग हेतु एक खाका (रोडमैप) तैयार करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के मंत्रालयों  और उनके सांख्यिकीय समकक्षों के साथ-साथ बड़ी संख्‍या में विभिन्‍न भागीदारों के बीच भी घनिष्ठ सहयोग अत्‍यंत आवश्यक है।

इस दिशा में ठोस कार्रवाई करने योग्य कदमों को तलाशने के लिए एमओएसपीआई नई दिल्ली में 21-22 अगस्त, 2017 को ‘यूएन वूमन’ के सहयोग से सतत विकास लक्ष्यों के महिला-पुरुष संकेतकों के लिए डेटा सृजन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय मंत्रणा का आयोजन करने जा रहा है। इस मंत्रणा से एसडीजी के लिए महिला-पुरुष संकेतकों में अंतर को दूर करने के तरीके पर चर्चा करने के लिए हितधारकों को एक प्लेटफॉर्म उपलब्‍ध होगा जिससे डेटा के सृजन और डेटा उपयोग के स्वामित्व में वृद्धि होगी। इसके साथ ही, बहु-हितधारक मंत्रणा से महिला-पुरुष से जुड़े आंकड़ों के बारे में सहयोग बढ़ाने के लिए एक सामान्य समझ और सामंजस्यपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलेगा। कुल मिलाकर इसका उद्देश्य एसडीजी हेतु महिला-पुरुष संकेतकों के लिए डेटा सृजन पर ठोस कदमों का एक रोडमैप तैयार करने के लिए विचारों को इकट्ठा करना है

राष्‍ट्रीय मंत्रणा के उद्देश्‍य
  1. एसडीजी के लिए विजन 2030 हेतु महिला-पुरुष संकेतकों और महिला-पुरुष से जुड़े आंकड़ों की आवश्यकता के बारे में सामाजिक क्षेत्र संबंधी केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को अवगत कराना।
  2. एसडीजी के लिए महिला-पुरुष से जुड़े राष्‍ट्रीय संकेतकों की निगरानी हेतु केंद्र और राज्य सरकारों के हितधारकों के साथ आगे बढ़ने की राह पर चर्चा करना।
  3. एसडीजी के लिए महिला-पुरुष से जुड़े संकेतकों से जुड़े डेटा के संग्रह या उपयोग या प्रसार पर नवीनतम सर्वोत्तम विधियों को साझा करके सहयोगात्‍मक अध्‍ययन और ज्ञान के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना।
भारत में प्रगति
  1. एसडीजी 5 के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) को मुख्‍य मंत्रालय के रूप में चिन्हित किया गया है
  2. विभिन्न अन्य मंत्रालयों जैसे कि ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी, भूमि संसाधन विभाग), आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओयूडी), आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (एमएचयूपीए), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (एमएसजेई), इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) की भी पहचान ऐसे मंत्रालयों के रूप में की गई है जो महिला-पुरुष संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
  3. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) भारत के लिए वैश्विक संकेतक फ्रेमवर्क को प्रासंगिक बनाने में जुटा हुआ है। मंत्रालय ने व्यापक सलाह-मशविरा के लिए एसडीजी से जुड़े राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क के मसौदे को सार्वजनिक तौर पर पेश किया है, जिसे शीघ्र ही अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।
पृष्ठभूमि
  1. भारत वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुमोदित ‘ट्रांसफॉर्मिंग ऑवर वर्ल्ड: द 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ संकल्प (2030 एजेंडा) पर एक हस्ताक्षरकर्ता देश है
  2. इस 2030 एजेंडे में 17 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) और 169 लक्ष्य शामिल हैं। जहां एक ओर लक्ष्य 5 ‘महिला-पुरुष समानता हासिल करने और सभी महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाने’ से जुड़ा एकल लक्ष्य है, वहीं दूसरी ओर पूरे ही एजेंडे में महिला-पुरुष समानता को मुख्यधारा में लाया गया है।
  3. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के सांख्यिकीय कार्यालयों एवं मुख्‍य एजेंसियों और संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकीय आयोग द्वारा एसडीजी संकेतकों पर गठित अंतर-एजेंसी एवं विशेषज्ञ समूह (आईएईजी-एसडीजी) के साथ सलाह-मशविरा करके 232 अनूठे संकेतकों के एक समूह पर वैश्विक स्तर पर सहमति बनी है।
  4. वैश्विक संकेतक फ्रेमवर्क पर अमल को सुविधाजनक बनाने के लिए आईएईजी-एसडीजी द्वारा सभी संकेतकों को विधिवत विकास के उनके स्तर और डेटा के नियमित सृजन के आधार पर तीन श्रेणियों (टियर) में वर्गीकृत किया जाता है।
  5. टियर 1 के संकेतकों के लिए कम से कम आधे देशों द्वारा डेटा को नियमित रूप से सृजित किया जाता है। टि‍यर 2 के संकेतकों की अपनी एक स्थापित पद्धति है, लेकिन डेटा का नियमित रूप से सृजन नहीं होता है। वहीं, टि‍यर 3 में ऐसे संकेतक हैं जिनके लिए कोई भी स्थापि‍त पद्धति और मानदंड अभी तक उपलब्ध नहीं हैं।

Source: http://www.tcsacademy.org

 

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